सोशल मीडिया का मुकुट बन कर उभरा है फेसबुक Live



       

      यदि ​वीडियो सोशल मीडिया का राजा है तो फेसबुक लाईव उसका मुकुट बनकर उभरा है। फेसबुक लाईव ने उन पलों को साझा करना आसान कर दिया है जिसे पहले आप अपने दूर बैठे दोस्तों, रिश्तेदारों को ​शेयर करना चा​हते थे। कंपनियां, ब्रांड, राजनेता, अभिनेता, टीवी चैनल सभी फेसबुक लाईव पर आ गए हैं। ब्रांड अपने कस्टमर से, लीडर अपने आडियेंस से कनेक्ट रहने फेसबुक लाईव का इस्तेमाल कर रहे हैं। दुनिया के कई हिस्से में प्राकृतिक आपदा की स्थिति में भी फेसबुक लाईव ने लोगों की जानमाल की रक्षा मे मदद की है। रीयल टाईम वीडियो होने के कारण यह हालात पर नजर रखने में सहायक है और इससे निर्णय लेना आसान हो जाता है कि कितना संसाधन कहां लगाना है।
        फेसबुक लाईव के इस्तेमाल में सावधानी जरूरी है। इंस्टाग्राम में आप लाईव जाते हैं तो वह रिकॉर्ड नहीं होता है। फेसबुक में आपका लाईव वीडियो रिकॉर्ड हो जाता है और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रहता है।  कई कंपनियां बहुत केजुअल तरीके से फेसबुक लाईव करने की गलती करती है। जब आप ब्रांड या महत्वपूर्ण इवेंट फेसबुक लाईव कर रहे हैं तो इसके लिये पूर्व तैयारी और लाईव स्टीमिंग की जानकारी होना जरूरी हो जाता हैं। समस्या यह भी आती है कि फेसबुक लाईव के ​टेलिकास्ट का आदर्श समय कितना हो। कुछ लोग 20 मिनट, कुछ 45 मिनट एवं कई लोग फेसबुक पर एक घंटा लाईव वीडियो को पर्याप्त मानते हैं। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि नासा के फेसबुक लाईव को 94 प्रतिशत लोग 120 सेकंड से ज्यादा नहीं देखते हैं। मतलब यह है कि फेसबुक लाईव पर लोगों का अटेंशन बहुत सीमित समय के लिये होता है। ऐसी स्थिति में शुरूआत में वीडियो स्पष्ट होना जरूरी हो जाता है। क्योंकि आवाज को लोग म्यूट पर रखते हैं।
        फेसबुक लाईव की समय सीमा का निर्णय जनता के हाथ में होना चाहिये। जब आपके फेसबुक लाईव में निगाहें कम हो जाए तो आप को लाईव सेशन समाप्त कर लेना चाहिये। नासा के जनसंचार विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिये उच्च तकनीक वाला कई उपकरणों की आवश्यकता नहीं है। इसे एक उच्च गुणवत्ता वाला टीवी उत्पाद बनाने की कोशिश करना आवश्यक नहीं है। अंत में फेसबुक लाइव इवेंट के लिये एक ट्राइपॉड पर लगा मोबाईल फोन और 4जी वाईफाई कनेक्शन होना जरूरी  है।

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